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Wednesday 19 June 2013

बिना संसाधन कैंपों तक कैसे जाएं विकलांग : ITAWAH ( UP )

इसे सरकारी विभागों का ढुलमुल रवैया कहें या फिर जानबूझकर की गयी मक्कारी लेकिन जिले के विकलांगों के साथ ठीक नहीं हो रहा है। जिले में बनने वाले स्मार्ट कार्ड के लिए जो कैंप लगाए गए हैं वह विकास खंड स्तर पर हैं जहां बिना संसाधनों के जाना विकलांगों के लिए संभव नहीं है। ऐसे में प्रशासनिक व्यवस्था पर सवाल उठ रहा है।

बकेवर क्षेत्र में इस व्यवस्था के खिलाफ आवाज उठने लगी है। पेंशन धारक ओम प्रकाश विकलांग है, वह चल फिर नहीं सकते। लेकिन उन्हें कार्ड बनवाने के लिए दस किलोमीटर जाना होगा। लवकिशोर, बनवारी लाल, धर्मेद्र कुमार आदि की भी यही समस्या है। विकलांगों व वृद्धों का कहना है कि उन्हें पेंशन के नाम पर छह माह में कुछ रुपये मिलते हैं, जबकि कैंप तक जाने में यदि वाहन की व्यवस्था की तो काफी खर्च हो जाएगा, सरकारी वाहन से जाना आसान नहीं है।
प्रधान ने उठाई समस्या:


ग्राम पंचायत जैतपुर महेवा के ग्राम प्रधान गोविंद सिंह ने तहसीलदार के दिये प्रार्थना पत्र में बताया कि उनकी ग्राम पंचायत के लोगों के वृद्धावस्था, विधवा, विकलांग पेंशनधारकों के स्मार्ट कार्ड बनाने के लिये कर्वा खेड़ा स्थित विद्यालय में कैंप लगाया गया है। जो गांव से दस किलोमीटर दूर है। बुजुर्ग वृद्ध विकलांग पेंशन धारक इस उमस भरी गर्मी में स्मार्ट कार्ड बनवाने हेतु नहीं पहुंचने में परेशानी होने से नहीं पहुंच पा रहे हैं।

तहसील सदर में भी हुआ मजाक


केवल देहात क्षेत्र में ही स्मार्ट कार्ड के लिए विकलांगों को दिक्कत नहीं हो रही है। तहसील सदर में भी इसी प्रकार का वाकया सामने आया था, जब तहसील भवन की पहली मंजिल पर विकलांगों के लिए स्मार्ट कार्ड बनवाने के लिए कैंप लगवाया गया था। मजेदार बात यह है कि तहसील सदर में विकलांगों के लिए स्लैब तक नहीं है। हालांकि एसडीएम सदर को विभागीय अधिकारियों की लापरवाही का नजारा देखने को मिला तो उन्होंने इसमें परिवर्तन करा दिया था।


Source : Jagran , UP ; 16th June 2013 

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