शिवनाथ और शिवराम साहू जब पैदा हुए थे तब काफी हलचल मची. दोनों जुड़वा भाई आपस में एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं और गांव के लोग उन्हें भगवान का अवतार मानकर उनकी पूजा-अर्चना करने लगे. हालांकि अब एक डॉक्टर ने कहा है कि वह 12 साल के इन बच्चों को अलग कर सकता है, जो आपस में कमर से जुड़े हुए हैं. लेकिन दोनों बच्चों ने अलग होने से साफ इनकार कर दिया है.
शिवराम के मुताबिक, 'हम अलग नहीं होना चाहते. हम ऐसे ही रहेंगे. हम जब बड़े हो जाएंगे तब भी ऐसे ही रहेंगे. हम जैसे हैं वैसे ही जीना चाहते हैं'.
छत्तीसगढ़ के रायपुर के एक छोटे से गांव में जन्मे इन जुड़वा भाइयों के दो पैर और चार हाथ हैं. जिस तरह से दोनों नहाते-धोते हैं, कपड़े पहनते हैं और खाना खाते हैं उससे डॉक्टर हैरान हैं.
बहरहाल, जब दोनों पैदा हुए थे तो उस वक्त एक स्थानीय डॉक्टर ने उनके घरवालों से कहा था कि बच्चे स्वस्थ तो हैं, लेकिन वो उन्हें अलग नहीं कर सकता. आपको बता दें कि दोनों का पेट तो एक ही है, लेकिन फेफड़े, दिल और दिमाग अलग-अलग हैं.
दोनों अपने आप नहाते हैं, खाते हैं, तैयार होते हैं और एक-दूसरे के बाल बनाते हैं. वे अपने घर की सीढ़ियों पर भी खुद ही उतरते-चढ़ते हैं. यही नहीं वे पड़ोसियों के बच्चों के साथ अपने छह हाथ-पैर की मदद से क्रिकेट और दूसरे खेल खेलते हैं.
दोनों भाइयों में शिवनाथ ज्यादा कमजोर है. उसके मुताबिक, 'हमने खुद को सबकुछ सिखाया है. हम साइकिल चलाकर स्कूल जाते हैं और क्रिकेट खेलने में हमें कोई दिक्कत नहीं होती'.
दोनों पढ़ने में भी काफी होशियार हैं और उनकी गिनती क्लास के टॉपर बच्चों में होती है. अपने बच्चों पर 45 वर्षीय राज कुमार को बहुत गर्व है. पेशे से मजदूर राज कुमार की पांच बेटियां हैं और अपने बेटों को लेकर वो काफी रक्षात्मक हैं. वो अपने बेटों को गांव से बाहर नहीं जाने देते. उनके मुताबिक, 'लोगों के लिए मेरे बच्चों को देखना मजे की बात है, लेकिन सिर्फ मैं ही जानता हूं कि उन्हें कितनी परेशानी होती है'.
उन्होंने बताया, 'बरसात के दिनों में उनके लिए चलना मुश्किल हो जाता है और जब एक को बैठना होता है तो दूसरे को लेटना पड़ता है. लेकिन दोनों कभी नहीं झगड़ते. उनके विचार आपस में मिलते हैं. अगर एक कहता है कि उसे खेलना है तो दूसरा राजी हो जाता है'.
सात बच्चों के पिता राजकुमार कहते हैं कि वो डॉक्टर को अपने बच्चों को अलग नहीं करने देंगे. फिर चाहे उनके पास पैसा हो और ऑपरेशन करना संभव ही क्यों न हो'.
उन्होंने कहा, 'भगवान ने उन्हें ऐसा ही बनाया है, इसलिए उन्हें ऐसे चलना पड़ता है. वे ऐसे ही रहेंगे. मुझे और कुछ नहीं चाहिए. अगर डॉक्टर भी कहें तब भी मैं अपने बच्चों को अलग नहीं होने दूंगा. पैसों में मेरी कोई दिलचस्पी नहीं है. मैं उन लोगों में से हूं जो मेहनत करके उनका पालन-पोषण कर सकता हूं. मुझे किसी तरह की मदद की कोई जरूरत नहीं'.
गौरतलब है कि सेक्शुल रिप्रोडक्शन के दौरान बनने वाले शुरुआती सेल जब अलग नहीं हो पाते हैं तब आपस में जुड़े हुए बच्चे पैदा होते हैं. ऐसा माना जाता है कि हर साल 50,000 बच्चों में से एक मामले में जुड़े बच्चे पैदा होते हैं.
बहरहाल, गुड़गांव के फोर्टिस हॉस्पिटल के डॉक्टर कृष्ण चुग को जब शिवराम और शिवनाथ की तस्वीर दिखाई गई तो उन्होंने कहा कि दोनों बच्चों को अलग करना मुमकिन है, लेकिन शिवनाथ को इसके गंभीर परिणाम भुगतने होंगे. जहां, शिवराम के पास दोनों पैर होंगे और वह सामान्य जिंदगी जी पाएगा वहीं, शिवनाथ को बिना पैरों के किसी की मदद के सहारे जिंदगी गुजारनी होगी.
यह ऑपरेशन भी बहुत खर्चीला होगा और लंबे वक्त तक दोनों को शारीरिक और मनोवैज्ञानिक तौर पर देखभाल की जरूरत होगी. डॉक्टर चुग के मुताबिक, 'ऑपरेशन मुमकिन है. लेकिन सवाल यह है कि क्या हमें ऑपरेशन करना चाहिए. ऑपरेशन से हमें क्या हासिल होगा और हम क्या गंवा देंगे? परिवार क्या चाहता है, समाज इसे कैसे लेगा और सबसे जरूरी ये बच्चे इसे किस तरह से लेंगे'?
उन्होंने कहा, 'तस्वीर देखकर लगता है कि उनके शरीर के अंग ठीक से काम कर रहे हैं. उनके पास दो अलग-अलग दिमाग, दिल और फेफड़े हैं. तो जहां तक जिंदा रहने का सवाल है तो वे इस तरह भी जीवित रह सकते हैं. वे होशियार हैं और बड़े होने पर आर्थिक और शारीरिक रूप से सक्षम हो सकते हैं.
आपको बता दें कि दोनों बड़े होने पर शादी भी कर सकते हैं. ऐसे भी मामले हैं जहां आपस में जुड़े हुए भाइयों की दो अलग-अलग पत्नियां और 21 बच्चे हैं.
गौरतलब है कि शिवनाथ और शिवराम का मामला आपस में जुड़ी हुईं दो बहनों गंगा और जमुना से मिलता-जुलता है. दोनों पश्चिम बंगाल की रहने वाली हैं. वे ड्रीमलैंड सर्कस में स्पाइडर सिस्टर्स के नाम से काम करती थीं, जहां उन्हें एक रात के 2500 रुपये मिलते थे. माना जाता है कि अब दोनों अपने 40वें बरस में हैं और उन्होंने गदाधर नाम के शख्स के साथ शादी कर घर बसा लिया है.
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