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Saturday, 4 May 2013

पांच वर्षो से उपकरण के लिए भटक रहे विकलांग : UP

जनपद के विकलांग विगत पांच वर्षो से उपकरणों के लिए भटक रहे हैं मगर उन्हें आश्वासन के सिवा कुछ नहीं मिला। इस तरह से भारत सरकार के सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय द्वारा चलाई जा रही एडिप योजना यहां पूरी तरह से फेल है। 

भारत सरकार के उक्त मंत्रालय द्वारा विकलांगों का शारीरिक परीक्षण कर उन्हें उपकरण वितरित करने के लिए उक्त योजना चलाई गई थी। इसके लिए प्रत्येक जनपद में विकलांग पुनर्वास केंद्र खोले गए थे। अपने जिले में मुख्य चिकित्साधिकारी कार्यालय परिसर में उक्त केंद्र की स्थापना की गई। वहां कई वर्षो तक तो सब कुछ ठीकठाक रहा किंतु वर्ष 2007-08 के बाद यहां एक बार भी विकलांगों को उपकरण नहीं मिल सके। हालांकि इस बाबत जिलाधिकारी के माध्यम से कई बार प्रस्ताव और रिमाइंडर भेजे गए। विभागीय सूत्र बताते हैं न तो उपकरण के लिए धन ही भेजा गया और न कोई निर्देश। इधर विकलांग आ-आकर केंद्र से लौट जाते हैं। जिला विकलांग पुनर्वास केंद्र द्वारा 2007-08 में 18 लाख 91 हजार रुपये का प्रस्ताव मंत्रालय को जिलाधिकारी को भेजा गया था। पिछले वर्ष 28 लाख का प्रस्ताव भेजा गया। तब से आज तक चार वर्षो में पंजीकृत विकलांगों की संख्या बढ़कर चार गुना हो गई है। केंद्र पर ट्राईसाइकिल, बैसाखी, व्हील चेयर के लिए 8409, चश्मा, छड़ी के लिए 4303, श्रवण यंत्र के लिए 2911, सम्मिलित विकलांग 553 यानि कुल 16,176 विकलांगों के लिए लगभग एक करोड़ रुपये की जरूरत है। 

कर्मचारी भी वेतन बिन बेहाल

विकलांग पुनर्वास केंद्र पर तैनात कर्मचारी भी वर्षो से वेतन न मिलने के कारण भुखमरी के कगार पर पहुंच गए थे। काफी गुहार लगाने के बाद थक हार कर उन्होंने अपने वेतन बकाया भुगतान के लिए उच्च न्यायालय में याचिका दायर कह है। बताते हैं कि कर्मचारियों के वेतन के मद में लगभग 21 लाख रुपये बकाया है। 

जनप्रतिनिधि भी जिम्मेदार क्षेत्रीय सांसद सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय की समिति के सदस्य हैं। पुनर्वास केंद्र के कर्मचारियों का कहना है कि वे लोग अपने वेतन और विकलांगों के लिए कई बार उनसे मिले किंतु कोई फायदा नहीं हुआ।


Source :  Jagran , Chirraiyakot , UP : 3rd May 2013

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